मार्च 19, 2024
लेखक WID.world

इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” अब ब्रिटिश राज से भी अधिक असमान है

इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है।

इस पेपर में, नितिन कुमार भारती, लुकास चांसल, थॉमस पिकेटी, और अनमोल सोमनची इंडिया में आय और संपत्ति असमानता की लॉन्ग रन सजातीय श्रृंखला प्रस्तुत करते हैं। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय आय खाते, धन समुच्चय, कर तालिकाओं, समृद्ध सूचियों और आय, उपभोग और संपत्ति पर सर्वेक्षणों को एक सुसंगत ढांचे में संयोजित किया है।

मुख्य निष्कर्ष:

  • स्वतंत्रता के बाद से 1980 के दशक के शुरुआत तक असमानता में गिरावट आई, जिसके बाद यह बढ़ने लगी और 2000 के दशक के शुरुआत से तो यह आसमान छू गई। अध्ययन की पूरी अवधि के दौरान, शीर्ष श्रेणी के आय और संपत्ति के हिस्से एक सामान बढ़ते दिखाई दिए।
  • 2014-15 और 2022-23 के बीच, शीर्ष श्रेणी की आर्थिक असमानता संपत्ति संकेंद्रण के रूप में स्पष्ट दिखती है। 2022-23 तक आते-आते, शीर्ष 1% आय और संपत्ति हिस्सेदारी (22.6% और1%) अपने ऐतिहासिक चरमसीमा पर पहुँच गयी हैं । इंडिया की शीर्ष 1% आय हिस्सेदारी अब उसे विश्व के सबसे अधिक आर्थिक असामान्य देशों की श्रेणी में डालती ह। यहां तक कि इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है।
  • पहले के काम के अनुरूप, पेपर में इस बात के संकेत मिलते हैं कि शुद्ध संपत्ति के नजरिए से देखने पर भारतीय आयकर प्रणाली प्रतिगामी हो सकती है
  • वैश्वीकरण की चल रही लहर से औसत भारतीय, न केवल कुलीन वर्ग, को सार्थक रूप से लाभ उठाने के लिए कुछ कदम उठाने आवश्यक हैं। कर कोड का पुनर्गठन आय और संपत्ति दोनों के आधार पर होना चाहिए। साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण में व्यापकआधारित सार्वजनिक निवेश अत्यावश्यक हैं। 2022-23 में 167 सबसे धनी परिवारों की शुद्ध संपत्ति पर 2% कासुपर टैक्सराजस्व में राष्ट्रीय आय का5% प्राप्त करेगा जो की सार्वजनिक निवेश का एक मूल स्त्रोत बन सकता है।
  • पेपर इस बात पर जोर देता है कि इंडिया में आर्थिक डेटा की गुणवत्ता काफी खराब है और हाल ही में इसमें गिरावट देखी गई है। इसलिए यह संभव है कि ये नए अनुमान वास्तविक असमानता की निचली सीमा का प्रतिनिधित्व करते हैं।

 

लेखक

  • नितिन कुमार भारती, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, अबू धाबी और वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब
  • लुकास चांसल, स्यांसिस पो, हार्वर्ड कैनेडी स्कूल और वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब
  • थॉमस पिकेटी, EHESS, पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब
  • अनमोल सोमनची, पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब

 

मीडिया संपर्क

  • press[at]wid.world

 

 

 

डाउनलोड के लायक फाइलें